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SBI और HDFC Bank के ग्राहकों के लिए खुशखबरी बनी देश की दिग्गज बैंक ICICI भी शामिल

देश के बैंकों का हाल देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी होता है किसी भी देश का बैंक अगर डूबता है मतलब देश की इकोनॉमी के लिए खतरा है देश मंदी का शिकार होने वाला है ऐसा हाल किसी समय में अमेरिकन बैंकों के साथ देखने को मिला था जब मंदी की आशंका गहरा गई थी गनीमत रही कि इस बार का खतरा बढ़ा नहीं लेकिन 2008 कौन भूल सकता है। लहमैन ब्रदर्स के डूबने के बाद दुनिया में जो मंदी आई थी वो किसी से भी नहीं ऐसा डर कभी भारत के सामने ना खड़ा हो इसके लिए देश के तीन ऐसे बैंकों को चिन्हित किया गया है जिनके डूबने का खतरा नहीं उठाया जा सकता यानी कुछ हुआ तो सरकार खुद इन्हें बचाने की कोशिश करेगी।

RBI की ताजा सूची के अनुसार आरबीआई ने एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को “टू बिग टू फेल” की कैटेगरी में रखा है यह तीनों डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपॉर्टेंट बैंक्स है यानी D- SIBs की श्रेणी में आते हैं मतलब यह तीनों बैंक घरेलू सिस्टम के लिए अहम बैंक्स में शामिल है हालांकि अब अहम बदलाव यह हुआ है कि आइसीआइसीआइ बैंक की पोजीशन में बदलाव नहीं किया गया लेकिन बाकी दोनों बैंक एसबीआई और एचडीएफसी बैंक का लेवल बढ़कर हाई पॉकेट में डाल दिया गया है।

जिसके तहत इन D- SIBs यानी घरेलू सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण बैंकों को एडिशनल कॉमन बड़ा इक्विटी टियर – 1 यानी (CET1) मेंटेन करना होगा। आरबीआई की लेटेस्ट प्रेस रिलीज के मुताबिक एसबीआई को रिस्क वेटेज एसेट के फ़ीसदी के रूप में अतिरिक्त 0.80% CET1 के रूप में रखना होगा जबकि एसबीआई के लिए सर चार्जपहले 0.60% था वही एचडीएफसी बैंक को अतिरिक्त 0.40% CET1 के रूप में रखना होगा जबकि पहले एचडीएफसी बैंक के लिए ये सरचार्ज लिए 0.20% था। ICICI Bank को अतिरिक्त 0.20% CET1 के रूप में रखा गया है।

जिसमें फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालाकि यह बदलाब अभी लागू होने नहीं जा रहा है यह बदले हुए लेबल 1 अप्रैल 2025 से मेंटेन करने होंगे क्योंकि बदलाव 1 अप्रैल 2025 से ही प्रभावी होगा अगर आप नहीं समझे कि डीएसआईबी से क्या मतलब है हमारा तो आपको बता दें यह ऐसे बैंक होते हैं की जो सिस्टम के लिए इतनी जरूरी होते हैं कि जिनकी डूबने पर पूरे फाइनेंशियल सिस्टम को झटका लग सकता है और अस्थिरता आ सकती है।

इस प्रकार के बैंकों पर आरबीआई की करीबी से नजर रहती है क्योंकि इन्ही “टू बिग टू फेल” माना जाता है दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इस प्रकार के बैंकों पर 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद से नजर रखने लगे थे आरबीआई ने पहली बार इसका फ्रेमवर्क 22 जुलाई 2014 को जारी किया था उसके तहत 2015 से आरबीआई को D- SIBs का खुलासा करना होता है यानी कि सिस्टम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बैंकों के बारे में बताना होता है और फिर उनकी मेहता के हिसाब से उन्हें उचित बकेट में रखना होता है जैसा कि इस बार देखने को मिल रहा है।

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